आत्महत्या हम कर रहे है

हम आत्महत्या कर रहे है यह देख के चौकिये नहीं यह सत्य है की हम आत्म हत्या कर रहे है क्योकि सत्य ही शिव एवं सुन्दर होता है, कही न कही हम आत्महत्या जानबूझ कर या फिर अनजाने में कर रहे है, कैसे हम चलिए आपको बताते है इसको ऐसा कहना उचित होगा कि आत्मघात करने के लिए हम सबसे आगे रहते है । हमारे बीच में तो कई ऐसे है जो यहाँ बड़ी खुसी के साथ बड़ी सान के साथ बड़ी साबासि के साथ कर रहे है परन्तु उन्हें खुद ही पता नहीं है कि यह घोर दंडनीय अपराध है जो कर रहे है जिसके लिए कठोर दंड दिया जाता है । दोस्तों हमें सामचार और पत्रों में हमें यह सुनने को मिलता रहता है कि कोई न कोई इंसान या फिर वो कोई प्रेमी ही क्यो न हो, दुनिया में हर किसी भी के लिए यदि वह अंतर आत्मा के विरुद्ध अपने ज़िन्दगी की परेशानियों से तंग आकर आत्महत्या करने का अपराध करता है तो न केवल भारतीय सविंधान बल्कि वह परमात्मा, प्रभु और अपने ईस्ट देव को नाराज़ कर उनका भी दिल दुखता है, जिसने हमें है मानव जीवन दिया है ।

उदाहरण :- आत्महत्या घोर पाप है, हाल ही में हमें बीते कुछ दिनों में हमें यह सुनने को मिलता है कि ” एक युवक ने बेरोजगारी से तंग आकर जहर पीकर आत्महत्या करने प्रयत्न किया ” जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया और उसे उचित इलाज ( चिकित्सा ) के द्वारा बचा लिया गया है । लेकिन उसे पता नहीं था कि भारतीय सविंधान के अनुसार आत्महत्या का प्रयास करने वालो के लिए कठोर कारावास है । पुलिस वालो ने उसका चलन कर दिया , तथा उसे न्यायधीश द्वारा एक वर्ष का कारावास का दंड भी दिया ।

ऐसे सामचार, न्यूज़, खबरे हमें आये दिन सुनने को मिलता रहता है, परन्तु आप यह जानकर अवश्य ही आश्चर्य होंगे कि विधान की लम्बे हाथ रेल कि पटरियों और यमुना नदी, गाड़ी के निचे आ जाने , अकेले में आत्म हत्या करने वालो का न तो पुलिस कुछ बिगड़ पाती है न ही कोई न्यायधीश उसे सजा दे पते है और उनका बाल भी बाक़ा नहीं कर पाते है, परन्तु वह ऊपर वाले के हाथो से नहीं बच सकता है और वह परमेश्वर ( भगवन ) उसे उसके अपराधो की सजा देता है । भगवान के नजरो से वह इंसान कह भी रहे लेकिन वह नहीं बच सकता है क्योकि जिस घर परिवार ने उसको पालपोश कर बड़ा किया और जिस माँ ने उसको पैदा किया । जब उसके लिए ही वह कुछ नहीं कर पाया और दुनिया के दर से पाने जीवन को ऐसे ही ख़तम करना चाहता है वह सच्चा इंसान नहीं है । दुनिया सिर्फ ज्ञान देती है और साथ कोई नहीं देता है इस वजह से ही हमें अकेले चलना पढता है और हमें हार नहीं मानना चाहिए, अपनी ज़िन्दगी को ऐसे ही नहीं गवाना चाहिए आत्महतिया की और तो कभी भी नहीं जाना चाहिए दोस्तों समय एक जैसा नहीं हमेसा नहीं रहता है । आपको हम बता दे कि आत्महत्या किसी भी प्रॉब्लम का रास्ता नहीं है बल्कि इसके अलावा हमें रास्ता निकलना चाहिए आज इसके खिलाफ हमें अपनी ज़िन्दगी को एक कामयाब रस्ते में ले जाना चाहिए ताकी कोई हम पर उंगली न उठा सके और हम उनका जवाब दे सके बस हमें इतनी ही हिम्मत लाने कि जरुरत है फिर देखिए हम कभी भी ऐसे रस्ते में नहीं जायेगे और ना ही किसी को जाने देंगे अपने इस फैसले को लेने के लिए हम किसी भी हद तक जा सके इतना तो हिम्मत हम में होना चाहिए ।

किसी भी बात के गुस्से में आकर भले ही हम कुछ भी फैसला ले लेते है, लेकिन हम यह नहीं सोचते है कि आगे क्या होगा क्या हमारे आत्महतिया करने से सब कुछ ठीक हो जायेगा क्या नहीं ना तो फिर हम उस रस्ते में जाते ही क्यो है सिर्फ एक गुस्से कि वजह से जो आज तक किसी का ना हुआ है ना ही किसी का होगा । हम मानते है कभी कभी गुस्सा करना सही होता है क्योकि गुस्से और नसे की हालत में हम कुछ हद तक सच बोलते है । जहा तक यह ठीक भी है और होना भी चाहिए, लेकिन फिर भी दोस्तों हमें गुस्सा और नसे से दूर रहना चाहिए और अपने गुस्से पर हमें कंट्रोल करना आना चाहिए जिससे हम अपने आप ही आत्महतिया का इरादा छोड़ दे और अपने अंदर कुछ और ऐसे बदलाव लाये । जिनसे हम कभी भी इस रस्ते में नहीं जाये ना किसी और को जाने दे । आप कभी भी ऐसे शब्दो का प्रयोग ना करे जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे और वह आपने आत्म बल खो दे और कुछ ऐसा कदम उठाने पर मजबूर हो जाये । जिसको करने पर उसके घर और परिवार वालो को तकलीफ का सामना करना पढ़ जाये । आपके एक फैसले से किसी की ज़िन्दगी और घर परिवार भी बच सकता है, जिसके वजह से हमें अपने हर कदम पर ध्यान देना चाहिए और अपने जुबान पर भी लगाम देना चाहिए जिससे सामने वाले की भावना को चोट ना आये और वह खुसी खुसी अपनी ज़िन्दगी का निर्वाहन कर सके और हम किसी भी प्रकार का किसी के लाइफ में कटा ना बने जिससे उसके ज़िन्दगी में चुभे और उसको पानी तक नसीब ना हो ऐसा कुछ भी हमें नहीं करना चाहिए ।

आत्महत्या करना कोई मुश्किल काम नहीं है लेकिन हम आत्महत्या करके केवल अपना ही नहीं बल्कि अपने उस आत्मा को भी कास्ट पूछते है जो आपके शरीर में रहता है । हम उसके साथ भी अन्याय करते है जो आपके शरीर में मौजूद है । यदि एक आत्म एक चिड़िया है तो शरीर उसका घोसला है क्या घोसले के बिना चिड़िया रह सकती है नहीं ना तो हम यदि उस घोसले को बर्बाद करते है या उसको किसी भी प्रकार का नुक्सान पहुंचते है तो यह उसके साथ अन्याय होगा और कुछ भी नहीं होगा तो हमें क्या उस घोसले को नुकसान पहुंचना चाहिए जिसने हमें रहने का आश्रय दिया है । जिसमे रह कर हम सुकून पाते है ठीक ऐसे ही हमरा शरीर है यदि इसको हम नुकसान पहुंचते है इसका मतलब है हम अपने उस घोसले को नुकसान पंहुचा रहे है जिसने हमें जीने का मौका दिया है अपने जीवन को बिताने को इसलिए हमें अपने शरीर को किसी भी प्रकार का आहात नहीं पहुंचना चाहिए उसका ख्याल रखना चाहिए । आप अपने जीवन को जिस प्रकार जीना चाहते है वैसे जिये परन्तु आपको कभी भी मौत के रस्ते में नहीं जाना चाहिए । आज तक किसी का इस रस्ते में न ही अच्छा हुआ है और न ही आपका कुछ अच्छा होगा तो आपको अपना सब कुछ समर्पित कर देना चाहिए पर आप कभी भी अपने मन को नहीं डोलना की हमें ख़त्म हो जाना है और अब जिंदगी में कुछ भी नहीं बचा है । ऐसा कभी भी मत क्योकि ज़िन्दगी बहुत बड़ी है मेरे दोस्तों और हमें अपने ज़िन्दगी को एन्जॉय करना चाहिए । आपको मैं बता दू किसी भी बातो को या फिर किसी की बातो को दिल में नहीं लेना है और ना ही उन बातो को बाँध कर रखना जो हो गया वह हो चूका है । हमें गुजरे हुए बातो और यादो पर कभी भी गौर नहीं करना चाहिए और उसको दोहराना नहीं चाहिए यही ज़िन्दगी है ।  

 

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