Swami Vivekananda के जीवन से लेकर अंतिम समय तक

स्वामी विवेकानंद के जिंदगी का सफर :-

स्वामी विवेकानंद का जीवन का पूरा आपको हम बतायेगे स्वामी जी का वास्तविक नाम नरेंद्र था । उनका जन्म 12-01-1863 को हुआ था । उनके जन्म दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में पुरे विश्व मे मनाया जाता है । रामकृष्ण देव अपने गुरु से बहुत प्रभावित थे । उन्होंने ज़िन्दगी की हर अच्छाइयों को उन्ही से सीखा है , उनका मानना था की जो जिव मानव मानव मे भेद भाव नहीं करता है वह निस्वार्थ भाव से जरुरत मंद की मद्दत करता है उनकी मद्दत भगवान सवयं ही करते है । रामकृष्ण गुरूजी की मौत के बाद नरेंद्र बहुत ही बड़े पैमाने मे देश विदेश की यात्रा करने लगे थे, स्वामी विवेकानद को देशभक्त और समाज सेवक सन्यासी के छवि के रूप मे देखा जाता है ।

शिक्षा और निष्ठा :-

स्वामी विवेकानद बहुत ही काम उम्र मे ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलियन संश्थान से जुड़ गए वही से उनकी स्कुल की शुरवात हुआ । उनका परिवार 1877 मे रायपुर चला गया । उनके परिवार की कलकत्ता वापसी के बाद वह ही एक ऐसे छात्र थे, जिन्होंने प्रेसिडेंट कॉलेज फ़ास्ट डिवीजन प्राप्त करने वाले थे । नरेंद्र ऐसे थे जिन्होंने समाजिक विज्ञानं और कला साहित्य धर्म, इतिहास के जिज्ञासुक रूप से पढ़ने वाले थे । इनके अलावा भी नरेंद्र को भगवत गीता , महाभारत तथा रामायण और अन्य ग्रंथो मे गहन अध्यन किया था । उन्हें खेल और संगीत मे भी बहुत रूचि थी । सभी लोगो का यह मानना था की नरेंद्र जैसा एक जीनियस बालक किसी भी ने नहीं देखा होगा । स्वामी जी अपने उम्र के बच्चो से कही अधिक प्रभावी बालक थे , जो केवल पढाई ही नहीं बल्कि उसके अलावा और बहुत से खेल, संगीत, सामाजिक और वास्तविक जीवन मे भी बहुत हुआ करते थे । उनके निष्ठा भी बहुत प्रभावी थे उन्होंने ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जिसमे इंसान इंसान मे जाती को लेकर भेद भाव न हो ।।

नरेंद्र का योगदान और महत्त्व :-

नरेंद्र / स्वामी विवेकानद का जीवन बताता है कि उन्होंने जो काम अपने जिंदगी के 30 – 40 साल मे कर के दिखाया है वो आने वाले कई सदियों मे कोई भी नहीं कर पायेग उनका मार्ग दर्शन हमारे युवा पीढ़ी को सन्देश देता रहेगा साथ ही सही जगह पर भी हमें लेकर जायेगा । उनके जीवन का यदि हम थोड़ा सा हिस्सा भी हम लेकर चले तो हमर जीवन सफल हो जायगा , उनके थोड़े से भी अनुभव हमारी पूरी ज़िन्दगी बदल सकते है । हमारा तो मानना है कि हर युवा को उनके जीवन को देखना चाहिए और उनका अध्ययन भी करना चाहिए । विवेकानद का समाज के प्रति योगदान कि बात किये जाये तो समुद्र मे से एक बाल्टी पानी निकलने वाली बात हो जाएगी क्योकि उनके जितने भी योगदान कि बात किया जाये वह महत्त्वपूर्ण है ।

नारी सम्मान और भाषा, यात्राएं :-

स्वामी विवेकानंद जी नारी सम्मान में किसी भी प्रकार की कमी नहीं करते थे । उन्होंने नारी सम्मान में कही भी कुछ भी सम्बोधन किया हो उनके शब्द भाइयो और बहनो के अलावा उन्होंने कुछ और ऐसे शब्द तो नहीं बोले है । जिनसे किसी भी नारी का दिल दुःख हो उन्होंने तो केवल ऐसे शब्दो का उपयोग किया है । जिनसे सामने वाले इंसान का मन गदगद होकर आखे भर आते है । अमेरिका में जब वो सम्बोधन करने के लिए गए थे तब उन्होंने बोला मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनो जिसके बाद मनो पूरी महफिल भर आया और माहौल तालियों से गुजने लगा मानो कोई अमृत लेकर आया हो जिसे पाने के लिए लोग तड़पे जा रहे हो ठीक ऐसा ही वह पर हुआ होगा । स्वामी जी की भाषा मधुर और सहज स्वाभाव का था । जिसे सुनने के लिए लोग ऐसे आते थे, जैसे गूढ़ के लिए मक्खिया आती है । हम चाहे स्वामी जी के बारे में जितना भी बताये वह काम है । नरेंद्र ऐसी ही स्वामी नहीं बने उनके कठोर तपस्या और साधना और एकाग्रता से उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया है । स्वामी जी इस योग के युवावो को सही रहता दिखने वाले महान युथ आइकॉन थे । यदि वो आज होते तो आज हमें यह देखने को मिलता की हम आज देश के प्रति सम्मान जनक युवक सभी सभी होते और उनके बताये रास्ते पर हम चलते और उनके मार्ग दर्शन का पालन करते और हमारा देश महान उचाईयो को छूता हम किसी और पर निर्भर नहीं रहते आज का युवा इनको समझ नहीं पाते है, आज भले है यह युवा यह समझ नहीं पता है ।

स्वामी जी का पूरा जीवन :-

स्वामी का जीवन तो ऐसा था की पूछिए ही मत आज वह भले ही नहीं है। लेकिन आज भी हमारे दिलो बसे हुए है, आज आप भी कही न कही पर उनकी कमी को ज़रूर मह्सुश करते हो गए है । लेकिन कोई ऐसा इंसान नहीं होगा जो उनकी याद को दिल में नहीं बसाया होगा ओ तो भगवान का कोई न कोई रूप है ऐसा लोगो का मन्ना है । क्या ऐसा हो सकता है, आप बताइये आपका क्या मानना है हमें आप बता सकते है। आप हमें इस ब्लॉग के जरिये से हमें बता सकते है आप का बताना वयर्थ नहीं जायेगा । आप हमें इन बातो को जरूर बताये, जीवन की सारी उच्चइयो तक हमें ले जा सकते है । सवामी जी का जीवन यू तो बहुत ही सुन्दर और मदुर और सरल है । आप इन बातो से सहमत होना आपका हमारे लिए बहुत योगदान होगा जो की किसी के लिए प्रधना सर्विस है । सवामी जी के बारे में हम जितना बता सकते है , उतना काम है । 

एक अतभुत जीवन स्वामी विवेकानंद का जीवन :-

नरेंद्र नाथ दत्ता का जीवन चमत्कारी माना जाता है, क्योकि उनका जीवन बहुत अतभुत है । इसे हम इस तरह से समझते है कि जब नरेंद्र छोटे थे तब से ही वह अपने जीवन में अच्छे कर्म करने लगे थे । आपको पता नहीं होगा कि नरेंद्र अपने जीवन काल में ऐसे काम किये है जो कोई और अपनी ज़िन्दगी में नहीं कर सकता है । आज हम उनके उपकार इतने अच्छे है जो हमारी ज़िन्दगी के हर पल में साथ निभा सकते है जिनके अच्छाई से भरे ज़िन्दगी को हम भूल नहीं सकते है । नरेंद्र ने बहुत ही काम उम्र में और कई अन्य देशों में अपने ज्ञान का दीप भी दिया है जिनको कई और देश में भी उनका आज भी सम्मान होता है । स्वामी आज भले ही हमारे बिच में नहीं है लेकिन आज उनकी छवि हमारे सामने में देखने को मिलता है । स्वामी जी का जीवन जितना अतभुत था उतना ही उनका ज्ञान भी अतभुत था, आज उनके ज्ञान भारत ही नहीं बल्की और कई अन्य देशों में भी फैला हुआ है । स्वामी जी बहुत ज्ञानी होने के साथ साथ बहुत ही ध्यान वाले इंसान थे जिनका जीवन बहुत ही अच्छे से और अतभुत तरीके से बिता है आज ऐसा लगता है कि आज भी सवामी जी हमारे बिच में मौजूद है, क्योकि आज भले ही वह नहीं है लेकिन उनका ज्ञान आज भी हमारे दुनिया में मौजूद है आज भी वह ज्ञान लाखो करोड़ो लोगो कि ज़िन्दगी को बदलने में काम कर रहा है । दोस्तों आपको यह ज्ञान भरी पोस्ट कैसा लगा । हमें ज़रूर बताये और आपको और जानकारी चाहिए तो आप हमारे इस साइट पर बने रहे आपको ऐसे ही ज्ञान से भरी जानकारी आपको मिलती रहेगी ।

 

Leave a Comment