Baahubali so popular
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बाहुबली फिल्म के बारे में तो सभी जानते है, लेकिन क्या आप इसके डायरेक्टर के बारे में जानते है ?

दोस्तों आप बाहुबली फिल्म के बारे में तो आप जरूर जानते है, लेकिन क्या आप इसके डायरेक्टर के बारे में जानते है । जिसने फिल्मो को बनने के लिए आपने घर परिवार सब कुछ छोड़कर आज इतने बड़े मुकाम को हाशिल कर पाए है, क्या आपने कभी भी सोचा है कि एक फिल्म को बनाने के लिए कितना रूपए और कितनी महेनत लगती है । आज भले ही हम एक फिल्म को देख कर बोल देते है कि यह फिल्म बढ़िया है या फिर यह फिल्म अच्छा नहीं है, लेकिन क्या आप ने सोचा है इन सब में कितना, टाइम है, चालिए आज इन सब के बारे में जानते हैं।

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एस एस राजामौली एक ऐसा नाम जिनके साथ हॉलीवुड के फेमस डायरेक्टर से लेकर बॉलीवुड के सबसे बड़े एक्टर्स भी काम करने का सपना देखते हैं क्योंकि जहां बॉलीवुड फिल्मों को सिर्फ अपना बजट निकालना में ही आफत आ जाती है वही एसएस राजामौली के डायरेक्शन में बनी फिल्में कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़कर आगे निकल जाती है पर सवाल यह उठता है कि आखिर कौन है यह राजामौली कैसे हीरोइन गरीबी से निकलकर फिल्म डायरेक्शन में अपना करियर बनाया और आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है कि उन्होंने अपने करियर में एक भी फ्लॉप फिल्म नहीं दी है चलिए सबको जानते हैंतो दोस्तों देश के सबसे महंगे डायरेक्टर माने जाने वाले एसएस राजामौली का पूरा नाम आपको पता है यह है कटोरी श्री शैल श्री राजामौली 1973 में कर्नाटक के अमरेश्वर कैंप नाम के गांव में जन्मे राजामौली जी के पिता स्क्रीन टाइटल भी विजेंद्र प्रसाद जी हैं वैसे अगर आप साउथ इंडियन फिल्मों के शौकीन है तो उनके पिता को तो आप जानते ही होंगे क्योंकि ट्रिपल आर बाहुबली और मगधीरा जैसी बहुत सारे हिट मूवीस के स्क्रिप्ट इन्होंने लिखी है खैर अगर हम बात करें ऐसा राजामौली जी की अगली लाई थी तो आज भले ही वह काफी अमीर है पर हमेशा से ऐसा नहीं था वैसे तो राजामौली जी के दादाजी एक बहुत ही अमीर और जमींदार आदमी थे जिनके पास करीब 360 एकड़ जमीन थी और उसे टाइम पर फैमिली की लाइफ भी बहुत अच्छे से गुजर रही थी लेकिन पिता और चाचा पर फिल्में बनाने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि उन्होंने सारी जबी नहीं भेजता ली पर्वत किस्मत ही सेंड में से कई फिल्में कंप्लीट नहीं हो सकी और कुछ पूरी हुई भी तो सिनेमाघर में इतनी बुरी तरह से पिट गई इसका पूरा परिवार सड़क पर आ गया इस फेलियर के बाद से राजा वाली के फैमिली बहुत ही बड़े ट्रक में फंस चुकी थी जिसके पास से एक बड़े से घर से निकाल कर पूरी फैमिली को दो कमरे वाले अपार्टमेंट में शिफ्ट होना पड़ा और इस दो कमरे में ही परिवार के 13 सदस्य रहा करते थे उसे समय एसएस राजामौली की उम्र सिर्फ 10 साल के आसपास थी और इस बदहाली ने उनके दिमाग पर बहुत ही गहरा असर डाला खैर अपने हालात और कर्ज से निकलने में उनके परिवार को काफी लंबा समय लग गया और इसी बीच राजा मलिक के ट्वेल्थ की पढ़ाई भी कंप्लीट हो गई लेकिन कमल की बात तो यह थीकि आज के समय के इतने बड़े डायरेक्टर को अपने अर्ली 20 तक यह समझ नहीं आता था कि आखिर उन्होंने अपनी लाइफ में करना क्या है करियर को लेकर इस तरह के लापरवाही उनके पिता को बिल्कुल भी पसंद नहीं आती थी इसलिए राजामौली को हमेशा से दांत सुनाई पड़ती और इस बात का मजा उनके रिश्तेदार भी लेने लगे थे इसीलिए जब भी वोट के घर आते थे तो जानबूझकर एक सवाल को छोड़ देते कि बेटा आगे क्या करना है अब इसका जवाब क्या देना है यह बात ना तो राजा मलिक को समझ आती थी और ना ही उनके घर वालों को कभी-कभी तो इस तरह के सवालों से तंग आकर यह कर देते थे कि मैं म्यूजिक कंपोजर बनना चाहता हूं असल में राजा मॉलिक्यूल उनके कम म किरवानी के साथ बहुत अच्छी बॉन्डिंग थी और उन्होंने कीड़ा बनी को म्यूजिक के लिए काफी पैशनेट देखा था अब राजामौली के पास अपना खुद का तो कोई फ्यूचर प्लान था नहीं इसलिए होने से ही इंस्पायर होकर वह बोल दिया करते थे कि मैं आगे जाकर म्यूजिक का कोई भी पेरेंट्स जब अपने बच्चों को करियर के लिए लापरवाह देखा हैतो सबसे बड़ी चिंता होती है वेजेंद्र भी इसी को लेकर ही परेशान रहते थे और यही वजह से कि उनके घर का माहौल खराब रहने लगा ऐसे में अपने पिता के दांत और गुस्से से बचने के लिए राजामौली ने काम करने का सोच और अपने पिता के साथ ही सेट पर जाने लगी साथी वह अपनी या अपने पिता के लिखे हुए स्टेप्स को ले जाकर बड़े-बड़े डायरेक्टर्स को सुनने का भी काम करते थे एक्चुअल राजा मलिक को स्टोरी टेलिंग में बहुत मजा आता था क्योंकि उन्हें बचपन से ही कहानी सुना और सुनना बहुत पसंद था असल में जब वह 7 साल के हुए तो उनके दादी ने उन्हें रामायण महाभारत और भागवत गीता के पाठ सुनने शुरू कर दिए थे और इसी उम्र में ही उनके पिता ने उन्हें अमर चित्र कथा जैसी किताबें लाकर दे दी थी साथी राजामौली को फिल्में देखने का भी बहुत शौक था और दोस्तों मूवीस की कहानी को तो वह मिर्च मसाला लगाकर इतनी इंटरेस्टिंग में अपने फ्रेंड्स को सुनते थे कि मानव सब कुछ उनकी आंखों के सामने हो रहा हो और दोस्तों उनके इसी अंदाज की वजह से उनकी स्टोरी टेलिंग को भी काफी पसंद किया गया और फिर थोड़े टाइम मेहनत करने के बाद उन्हें फिल्म एडिटर के वेंकटेश्वर राव के अंदर भी काम करने का मौका मिल गया यहां गरीब 6 महीने काम करने के बाद उन्होंने चेन्नई की एवं थिएटर में भी कुछ दिनों के लिए काम किया और फिर डायरेक्शन के काम में अगले 6 सालों तक अपने पिता की मदद की अब जैसा कि मैं आपको पहले भी बताया की शुरुआत में राजामौली अपनी या अपने पिता के लिखे हुए फिल्म स्क्रिप्ट को सुनने का काम करते थे लेकिन उसे दौरान उन्हें एक बात हमेशा निराश करती थी एक दूसरे डायरेक्टर सुन के लिखी हुई कहानियों को अपने अकॉर्डिंग तोड़ मरोड़ कर अलग ही रूप दे देतेथे जो कि उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं आता था और दोस्तों ऐसे निराश नहीं उन्हें डाइटिंग का काम छोड़कर फिल्म डायरेक्टर करने के लिए मोटिवेट किया ताकि वह कहानी को उसके नेचुरल रूप में ही परदे पर उतर कर दर्शकों तक पहुंच सके हालांकि यह काम आसान बिल्कुल नहीं था वह भी किसी ऐसे इंसान के लिए जो कि अभी फिल्म इंडस्ट्री को उसे टाइम पहले ही ज्वाइन किया हो डायरेक्शन के फील्ड में उतरने के लिए राजामौली चेन्नई से हैदराबाद शिफ्ट हो गए और फिर अपने एक रिलेटिव गुंडम गंगा राजू जो एक डायरेक्टर थे उनसे फिल्म मेकिंग सीखने लगे और फिर पहली बार राघवेंद्र राव के प्रोडक्शन में बनी तेलुगू टीवी सीरियल शांति निवासन को उन्होंने बारामूला पोती के साथ में मिलकर डायरेक्ट किया था यह समय ऐसा राजा मोहल्ले के लिए बहुत ज्यादा मुश्किल भरा रहा था क्योंकि उन्हें सेट पर हर रोज 17 18 घंटे तक काम करना पड़ता था जिसके चलते ना तो उन्हें अपने परिवार के लिए समय मिल पा रहा था और ना ही वह खाने-पीने यह अपनी हेल्थ के ऊपर ध्यान दे पा रहे थे खैर उनकी इसी मेहनत का ही नतीजा था कि साल 2001 में उन्हें एक ऐसा प्रोजेक्ट मिला जिसने उनकी लाइफ बदल कर रख दी असल में इस साल राजा मौली ने तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने करियर की पहले फिल्म को डायरेक्ट करना शुरू कर दिया जिसका नाम था स्टूडेंट नंबर वन यह फिल्म इसलिए भी खास थी ।

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यह फिल्म इसलिए भी खास थी क्योंकि इस फिल्म के लीड हीरो थे जूनियर एनटीआर जिनके खानदान का फिल्म इंडस्ट्री में बहुत ही स्ट्रांग बैकग्राउंड था साथ ही स्टूडेंट नंबर 1 जूनियर एनटीआर के भी पहले ही फिल्म होने वाली थी जिसमें अगर कोई भी चौंक रह गई तो फिर जूनियर एनटीआर के करियर के लिए बहुत बड़ा खतरा तो था ही साथी हो सकता था कि राजामौली को भी बड़े प्रोजेक्ट्स मिलने बंद हो जाएं लेकिन इस फिल्म के प्रोड्यूसर को राजामौली पर बहुत ज्यादा भरोसा था इसीलिए जूनियर एनटीआर को लॉन्च करने की जिम्मेदारी उन्हें ही सौंप गई बाद में जब इस फिल्म पर काम करना शुरू किया गया तो फिर राजा मलिक को बहुत रिग्रेट होने लगा कि काश मैं असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में कुछ और दिन काम कर लिया होता क्योंकि स्टूडेंट नंबर वन को डायरेक्ट करते हुए उन्हें कई तरह के चैलेंज से गुजरना पड़ा था यहां तक क्यों नहीं यहभी पता नहीं था की सीन को फिल्माने के लिए ट्रेन को कैसे उसे करना होता है क्योंकि टीवी सीरियल के दौरान उन्होंने कभी भी इसका इस्तेमाल नहीं किया था और फिल्मों की शूटिंग उससे बहुत गलत थी खैर जैसे तैसे करके फिल्म को पूरा कर लिया क्या और जब यह रिलीज हुई तो फिर ऑडियंस की तरफ से बहुत ही पॉजिटिव फीडबैक मिला जिसके बाद से जूनियर एनटीआर रातों रात एक तारा बन गए इस फिल्म के सफलता का अंदाज आप इसी उत्तर से लगा सकते हैं यह फिल्म का बजट सिर्फ 1.85 करोड रुपए था लेकिन इसने 12 करोड रुपए की कमाई की थी स्टूडेंट नंबर 1 की सफलता ने राजामौली और उनके परिवार की तकदीर बदल दी जिसके बाद से उनकी झोली में कई सारी और बेहतरीन फिल्में आने लगी साथी फिल्म प्रोड्यूसर्स को भी यह भरोसा हो गया था कि वह उनके पैसे डूबने नहीं देंगे अब जैसा कि मैं आपकोपहले भी बताया कि राजामौली को अपनी दादी से रामायण और महाभारत के किस्से सुना बहुत ज्यादा पसंद था इसीलिए उन्हें हमेशा से ही मन में रहता था कि मेथेलॉजिकल फिल्में बनाईं और नेकलेस स्टूडेंट नंबर वन के हिट हो जाने के बाद से उन्हें यह मौका भी मिल गया इसके लिए राजामौली ने अपने पसंदीदा हीरो मलयालम स्टार मोहनलाल के साथ में अपनी मेथेलॉजिकल फिल्म की तैयारी भी शुरू कर दी थी पर शायद इस सपने को पूरा होने में अभी समय था इसलिए कुछ रिजल्ट की वजह से यह फिल्म का भी बनी नहीं सकी अब दोस्तों राजामौली ने अपनी मेहनत और अच्छे डायरेक्शन के वजह से जूनियर एनटीआर की किस्मत को जो चमका दिया था लेकिन अभी उन्हें सुपरस्टार बनाना बाकी था इसलिए इन दोनों ने एक बार फिर से कोलैबोरेशन किया और 2003 में सिम्हाद्री फिल्म को रिलीज किया जो कि उसे सालकी बिगेस्ट ब्लॉकबस्टर साबित हुई क्योंकि इस फिल्म का बजट था 8.5 करोड रुपए लेकिन इसका टोटल कलेक्शन हुआ था 25.7 करोड रुपए इस फिल्म के सफलता के बाद जूनियर एनटीआर को इतनी पापुलैरिटी मिल गई की साउथ इंडिया में बच्चों से लेकर बड़ी उम्र के लोग सभी ने पहचानने लगे थे साथी राजामौली के करियर को भी बहुत बड़ा बस मिला साल 2004 में राजामौली ने अपनी तीसरी फिल्म साइको डायरेक्ट किया जिसके लीड रोल में थे नितिन रेड्डी और जनरली एडिशन यह फिल्म भी कुछ ऐसी हिट साबित हुई थी किसने कर नंदी अवॉर्ड्स अपने नाम की है अब दोस्तों अभी तक तो राजामौली की सभी फिल्मों को ही थिएटर पर सफलता मिली थी मगर इसके बाद उन्होंने एक ऐसी फिल्म को डायरेक्ट किया जिसके कहानी लोगों के दिलों को छू गई और कमल की बात तो यह है कि इस फिल्म को दर्शकों ने इतना पसंद किया कि यह थिएटर में 1000 दिनों तक चली थी एक्चुअली मैं बात कर रहा हूं फिल्म मगधीरा की जो की 2009 में रिलीज हुई थी और मुझे उम्मीद है कि आप में से ज्यादातर लोगों ने इसे कम से कम एक बार तो जरूर देखा होगा यह फिल्म ऐतिहासिक प्रेम कहानी पर बेस्ट है जिसके लेखक राजामौली के पिता विजेंद्र प्रसाद जी हैं मगधीरा उसे टाइम पर साउथ के सबसे बड़े हिट फिल्म साबित हुई थी जिसे दो नेशनल अवार्ड पर जीते थे साथी यह उसे समय जापान में बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में शुमार हुई थी अब दोस्तों जब साउथ की कोई मूवी हिट होती है तो भला उसे कॉपी करने में हमारे बॉलीवुड वाले पीछे कैसे रह सकते हैं इसीलिए बोनी कपूर राजामौली के पीछे पढ़ कर कि वह इसके रीमिक्स राइट्स को उनको भेज दे हालांकि यह दिल कभी भी फाइनल नहीं हो पाई असल में साल 2006 के दौरान राजामौली ने जब विक्रमाद उर्दू को बनाया था तभी उन्हें यह समझ आ गया था कि उन्हें रीमेक राइट्स बेचने का काम हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए अगर आप विक्रमार्क उर्दू के बारे में नहीं जानते तो फिर अक्षय कुमार की राउडी राठौर तो आपको याद ही होगी असल में यह फिल्म विक्रमार्क उर्दू की ही रीमिक्स थी इस मूवी के बनने के बाद से ही राजामौली को लगेलगा था इस तरफ वही है जो कि अपने पिता के लिखी कहानियों को सही से जस्टिफाई कर सकते हैं इसीलिए उन्होंने तभी डिसाइड कर लिया था क्या वह किसी भी फिल्म का रीमिक्स राइट नहीं भेजेंगे हालांकि मगधीरा के लिए उन्हें काफी अच्छे-अच्छे ऑफर्स मिल रहे थे लेकिन राजामौली ने सभी को रिजेक्ट कर दिया मदिरा की सफलता के बाद राजा मौली साउथ फिल्म इंडस्ट्री में एक बहुत बड़ा नाम बन गया क्योंकि सभी को पता था कि अगर किसी फिल्म को राजामौली ने डायरेक्ट किया है तो फिर एक्टर कौन है इससे फर्क नहीं पड़ता सिर्फ डायरेक्टर के नाम पर ही सारे टिकटोक जाती है राजामौली एक ऐसी पर्सनालिटी है जो बिल्कुल आउट ऑफ द बॉक्स सोचते हैं और वह ऐसे अनयूजुअल आइडिया या फिर स्टेप पर काम करने से भी नहीं कतराते जिसे कोई दूसरा डायरेक्टर सुनते ही बोलते कि यह बहुत ही बड़े फ्लॉप फिल्म होने वाली है और दोस्तों उनके इसी आउट ऑफ द बॉक्स इतिहास का ही नतीजा है 2012 में रिलीज हुई फिल्म का जिसका हिंदी डब्ड मक्खी तो आपने जरूर देखा होगा बताइए कौन सो सकता है क्या की लीड रोल में एक मक्खी को रखकर ही फिल्म को हिट किया जा सकता है सर पर राजामौली ही है जो कि इस तरह के कॉन्सेप्ट पर सुपरहिट फिल्म बना सकते हैं राजामौली और उनके पिता की जोड़ी ने साथ मिलकर कई सारे सक्सेसफुल फिल्में बनाई और जितना उन्होंने खाया था उससे कई गुना ज्यादा कमाया अब उनके पास सक्सेस और इज्जत दोनों थी लेकिन फिर भी वह हमेशा डाउन टू अर्थ है आप जब भी राजामौली को चार लोगों के बीच में देखेंगे तो यह पाएंगे कि यह लोगों में ऐसे गोल मिल जाते हैं कि कोई कहीं नहीं सकता कि यह इतने बड़े डायरेक्टर हैं फिल्म आने के बाद भी इन्होंने अपने काम को बहुत परी एटी दी और दर्शकों के लिए कुछ नया पेश करते रहे लेकिन अभी उनके करियर का वह टर्निंग पॉइंट आना बाकी था जिसने बॉलीवुड को भी बता दिया कि वह कितने पानी में है टू मैनेज योर इन्वेंटरी एंड लॉजिंग2015 में जब एसएस राजामौली बाहुबली लेकर आए थे तब इसने पूरे इंडिया में ही तहलका मचा दिया था यह उसे साल के सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तेलुगू फिल्म रही और इसने पहले ही दिन वर्ल्डवाइड 75 करोड रुपए कमाए थे जो कि आज के टाइम पर भी एक रिकॉर्ड है कमल की बात तो यह है कि इसी फिल्म नहीं पन इंडिया ट्रेड की भी शुरुआत कर दी थी क्योंकि इस मूवी को पसंद करने वाले लोगों में सिर्फ साउथ इंडियन ऑडियंस ही नहीं थी बल्कि पूरे इंडिया से इसके लिए बहुत ही बड़ा क्रश देखने को मिला था और दोस्तों यह फिल्म न सिर्फ ब्लॉकबस्टर साबित हुई बल्कि ऑडियंस को बेसब्री से इंतजार रहने लगा कि आखिर इसका सेकंड पार्ट कब आएगा और जब तक बाहुबली 2 नहीं आई तब तक सोशल मीडिया पर सिर्फ एक ही सवाल ट्रेंड कर रहा था कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा खैर बाहुबली 2 भी ब्लॉकबस्टर साबित हुई और उसने भी कमाई के नए-नए रिकॉर्ड कायम किया पर दोस्तों इन सब चीजों के चक्र चौथ से दूर राजामौली ने एक ऐसी फिल्म की कहानी पर भी काम करना शुरू कर दिया था जिसने इंडिया सिनेमा की तारीफ हॉलीवुड के सितारों से भी करवा दी थी एक्चुअली हम बात कर रहे हैं 2022 में आई ट्रिपल आर फिल्म की जो की इंडियन रिवॉल्यूशनरीज की कहानी पर बेस्ट है और इसमें एनटीआर जूनियर और रामचरण के साथ-साथ अजय देवगन और आलिया भट्ट ने भी काम किया है ट्रिपल आर को 550 करोड रुपए में बनाया गया था जो कि अभी तक की मोस्ट एक्सपेंसिव इंडियन फिल्म है और उसका ग्लोबल ग्रॉस कलेक्शन था 1300 करोड रुपए इस फिल्म के रिलीज होने के बाद से बॉलीवुड को तने मिलने शुरू हो गए थे उन्होंने साउथ के सिनेमा से कुछ सीखना चाहिए असल में ट्रिपल आर इंडियन प्रोडक्शन में अपनी पहली फिल्म है इससे अकैडमी अवार्ड दिया गया था साथ इसका नाटो नाटो सॉन्ग न सिर्फ इंडिया बल्कि एशिया का पहला सॉन्ग था जिससे बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग के लिए ऑस्कर से नवाज आ गया और दोस्तों हम आपको बताते चलें कि वही कम म किरावली ने कंपोज किया है जिसे इंस्पायर हो करिए म्यूजिक कंपोजर बनने की बात कर लिया करते थे ट्रिपल आर ने टोटल 6 अवार्ड जीते थे और इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को इंटरनेशनल लेवल पर पहचान दिलाई जो पूरे इंडिया के लिए गर्व की बात थी ट्रिपल आर की सफलता के बाद से हम भारतीय लोगों की मानसिकता ही बदल गई हम लोगों में एक परसेप्शन करने लगा कि आपको ही बॉलीवुड टॉलीवुड या टॉलीवुड नहीं है बल्कि आप है तो सिर्फ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री कमल के बाद तो यह है कि जो बॉलीवुड वाले साउथ एक्टर्स या डायरेक्ट से सीधे मुंह बात भी नहीं करते थे वह उनके साथ फिल्म करने के लिए बेताब रहने लगे क्योंकि जहां एक तरफ बॉलीवुड लगातार फ्लॉप मूवीज देखकर अपनी रेपुटेशन खराब कर रहा था वही राजामौली के डायरेक्शन में बनी फिल्मों को इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा था अब आने वाले टाइम में राजामौली फैंस के लिए कई धमाकेदार फिल्में लाने वाले जिनको देखने के लिए आपकी आंखे तरस जाएगी।

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