holi festival

नमस्कार मित्रो आपका फिर से एक बार सवागत है । हमारे इस ब्लॉग में आज हम फिर से एक नए टॉपिक्स के ऊपर चर्चा करने वाले है की कैसे विदेशों में भी होली का पर्व मानने की तैयारी चल रहा है । आज भले हम अपने पर्व को भूलते जा रहे है और मानने से इंकार करते जा रहे है, लेकिन इसके ठीक इसके उल्टा विदेशों में हमारे पर्व और तैवाहारो को बड़े सान से जोरो और सोरो से मनाया जा रहा है । दोस्तों आखिर होली का पर्व क्या है, आज भले ही हम में से कितने लोग आपने आज इस तैव्यहार को भूलते तो रहे है, लेकिन जब दूसरे देश के लोग इन तैवाहारो को अपना पर्व बना लगे तब इनको समझ में आ जायेगा की हमने क्या चीज खो दिया है ऐसे समझ में नहीं आएगा, दोस्तों जो चीज इंसान के पास होता है । उसकी वह कभी भी उसकी कदर नहीं करता है । यह बात बहुत सही है मेरे भाइयो मै ऐसे ही नहीं बोल रहा हु जो सही है उसको ही बोल रहा हु अभी हाल पर आप लोग ने देखा होगा की विदेशों में हमारे कल्चर को कैसे मनाया जा रहा है । हमारे साड़ी हो चाहे भगवान धार्मिक स्ठान या धार्मिक परम्परा सबको विदेशों में मनाया जाता है । आज भले ही हम अपनी परम्परों के साथ सौदा करते जा रहे है, लेकिन क्या ऐसा करना सही है भला आप ही बताइये और अपनी ज़िन्दगी की निर्वाहन ऐसे ही करना सही है नहीं हमारे हिसाब से देखा जाये तो ये करना सही नहीं है अपने धर्म और सांस्कृति को भूल जाना सही नहीं है जहा से आपकी जन्म हुआ है उस मिटटी से सौदा करना और उसके अइसनो को न मानना बहुत ही गलत है, बस हमारा तो यही मानना है की अपने धर्म और संस्कृति के लिए मर मिट जाना ही सही है, जिस पर हमारा कोई भी हमारा कोई भी साथी यह मानने से राजी नहीं होगा चलिए इन बातो को हटाए और जानते है कि होली के इस पर्व में विदेशों में क्या हाल है, अभी तो वैसे कई हमारे पड़ोसी देश है जहाँ हमारे भाई बंधू रहते है जहाँ पर होली का पर्व मनाया जा रहा है । हमारे सबसे प्रिय मित्र देश अमेरिका में रहने वाले हमारे भी परिवार जन के जैसे फॉरेनर इस पर्व को मन्नने के लिए सड़को पर आ गए है, जिनको देख कर वह के जनता भी साथ देने लग गयी है और वो भी होली के इस पर्व में रंगो में सराबोर हो गए है हम आपको क्या बताये कि ऐसा मंजर आज तक किसी ने नहीं देखा होगा । हर तरफ सिर्फ रंगो का सरगम है, सिर्फ सब तरफ रंग और रंग ही दिखाई दे रहे है इसके अलावा कुछ भी नहीं दिख रहा है ।

Holi Foreign

होली का समय कैसा होता है हमें बताने के ज़रूरत ही नहीं, क्योकि लोगों को होली आने के एक महीने पहले ही पता चल जाता है और इसकी तैयारी लगभग लोग 15 दिन पहले ही करने लगते है, क्योकि ऐसा मौका ज़िन्दगी में बार बार नहीं आता है सच मानिये जिंदगी में हम आखिर कितनी बार तैवाहारो को कितनी बार मना सकते है ज्यादा से ज्यादा 50 – 60 बार क्योकि बाकी के उम्र तो ऐसे निकल जाते है जैसे टायर से हवा निकल जाते है तो हमें ज़िन्दगी के हर पल को ऐसे जीना चाहिए की कल हो या न हो यक़ीन मानिये मेरे मित्रो आप ज़िन्दगी में किसी चीज की यदि चिंता, फ़िक्र नहीं करते है फिर ज़िन्दगी में सौ साल भी ज़िन्दगी जीने की ज़रूरत नहीं है क्योकि इंसान को सौ साल जीने की ज़रूरत नहीं है । ऐसे ही हम अपने इस पर्व को मानते है की हमें ज़िंदगी के मानो हर खुसी मिल गया होगा । हमारा तो यही मानना है, जिंदगी के हर पल को खुसी के साथ जिओ बस कोई टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है । होली का मौसम ही ऐसा होता है की हर गम और हर दुखो को भुला देता है, तभी हमारे पूर्वज कहते है कि हर लड़ाई दुश्मनी को भुला कर होली को मानना चाहिए । होली के लिए एक लाइन बहुत ही मशहूर है – बुरा न मानो भई होली है होली है । इससे तो आप समझ गए होंगे कि ये लाइन क्या कहना चाहती है ।

होली का ऐसा मौसम देख के कई देशों से विदेशी मेहमान भी आतेआते जो खास तौर पर इस पर्व को ही देखने आते है, क्योकि उनके देशों में ऐसा नहीं मनाया जाता है इस वजह से देखने के लिए आते है यदि हम भी उनकी जगह पर होते तो हमारे भी मन ने जिज्ञासा होता ही आखिर होली को कैसे मनाया जाता है । रंगो का ऐसा मौसम हर किसी को नसीब नहीं होता है क्योकि कई देशों में तो जानते ही नहीं है कि ऐसा कुछ भी होता है, लेकिन हम बता दे कि कई ऐसे भी देश है जहाँ होली का पर्व उनका राष्ट्रीय पर्व न हो लेकिन इसको राष्ट्रीय पर्व के जैसा माना जाता है क्योकि खुसी का मनजार ही ऐसा होता है, खुसी को बया नहीं किया जा सकता है क्योकि वो एक फिलिंग है जो तैव्हारो में ही होता है । होली को मानने से पहले होलिका दहन किया जाता है जिसके बाद ही होली का तैवाहार मनाया जाता है इसके पीछे भी एक कहानी है चलिए हम इस कहानी को आपको आज हम बता ही देते है ।

Foreign in holi

होली को मानने से पहले चलिए जानते है इसके पीछे की कहानी आखिर क्या है – हिन्दू पौराणिक कथाओ और कहानियो की अनुसार होली से पहले होलिका का दहन किया जाता है । चलिए इसके पीछे की कहानी जानते है इसकी शुरुआत कई शादियों पहले हुआ था । जब हिरण्यकश्यप राक्षसों का राजा हुआ करता था, लेकिन इनका पुत्र भक्त प्रह्लाद विष्णु भगवान का परम भक्त हुआ करता था । भगवान विष्णु को हिरणकश्यप अपना शत्रु मानता था । हिरणकश्यप को जब पता चलता है कि उसका पुत्र राक्षस होते हुए भी एक भगवान का भक्त है वो भी विष्णु का जो उसका शत्रु है, तब उसने अपने पुत्र को बहुत प्रह्लाद को रोकने की बहुत कोशिश किया जिसके बाद प्रह्लाद की न मानने पर उसके पिता हिरणकश्यप उसको बहुत कस्ट और तकलीफ की साथ यातनाएं भी देने लगे । हिरणकश्यप ने भक्त पह्लाद को पहाड़ से निचे गिरवा दिया, हाथी की पारो तले दबवाने की भी कोशिश करवाया गया, लेकिन वह भगवान विष्णु की कृपा से बच गया । हिरणकश्यप की होलिका बहन थी । जिसको यह वरदान था कि वह कभी भी आग/अग्नि नहीं जलेगी । हिरणकश्यप की कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने की लिए उसको गोदी में लेकर आग में बैठ जाती है । किंतु भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच जाता है और होलिका अग्नि/आग में जल जाती है । तब से आज तक बुराई पर अच्छाई की जीत की रूप में आज भी होलिका दहन किया जाता है और ये होली की तैव्हार को होलिका दहन के पश्चात् मनाया जाता है ।

होली से जुड़ी आपको ये पौराणिक कहानी आपको कैसे लगी निचे हमें जरूर बताये साथ ही आप हमसे और जानकारियों की लिए हमसे जरूर जुड़े रहिए और हम आपको और ऐसे ही अनोखे जानकारियों से आपको देते रहेंगे । आप हमेशा हमारा ऐसे ही साथ देते रहिए । धन्यावाद

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